पटना (न्यूज़ सिटी)। बिहार में अनलॉक वन का शेड्यूल जारी होते ही बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। चुनावी तैयारियों के रणनीति बनाने को लेकर आज मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने बिहार के सभी जिलों के जिला अधिकारी एवं एसपी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की है। आयोग ने सभी जिलाधिकारियों और एसपी को निर्देश दिया है कि अब चुनावी तैयारियों के लिए चरणबद्ध तरीके से कदम आगे बढ़ाएं। मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा। इसके लिए नया शेड्यूल जारी होगा।





आपको बता दें कि कोरोना काल में केंद्र सरकार द्वारा बीते 1 जून से नए गाइडलाइंस जारी कर संपूर्ण भारत में अनलॉक वन लगाया है। इसी बीच बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां जोरों शोरों से लगी है। भारत निर्वाचन आयोग भी चुनाव रणनीति के तैयारियों को लेकर भी आज बिहार के सभी जिलाधिकारी और एसपी से समीक्षा बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया। आयोग विधानसभा चुनाव को लेकर अलर्ट मोड में है। क्योंकि बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। जिसको लेकर सबसे पहले आयोग मतदाता सूची को दुरुस्त करने पर जोर दे रही है। साथ ही नए मतदाताओं का नाम जोड़ने तथा सुधार करने और जिनका निधन हो गया है, उनका नाम विलोपित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। बिहार में विधानसभा का आम चुनाव 243 सीटों के लिए होना है. वर्तमान निर्वाचित विधानसभा का कार्यकाल इसी साल दिसंबर में समाप्त हो जाएगा। लेकिन कोरोना के कारण समय पर चुनाव कराने को लेकर संशय बरकरार था. लेकिन अनलॉक-1 में सभी सरकारी कार्यालय खुलते ही इस प्रक्रिया में तेजी आ गयी है।





फ़ाइल फ़ोटो




अनुमान लगाया जा रहा है कि जिलाधिकारी और एसपी के साथ मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में इसको लेकर के भी आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं। साथ ही अन्य राज्यों से ईवीएम को मंगाए जाने का काम भी शुरू किया जाएगा। हालांकि अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि बिहार विधानसभा के चुनाव अक्टूबर और नवंबर माह में संपन्न कराए जाएंगे।






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राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो इसबार का चुनाव कोरोना के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है। ऐसे में बड़ी- बड़ी रैलियां और किसी बड़े मैदान में सभाएं नहीं होंगी। हेलिकॉप्टर और गाड़ियां की शोर नहीं सुनायी देगी। ऐसे में माना जा रहा है कि डिजिटली रूप से स्ट्रांग पार्टी ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ पाएंगी। साथ ही राजनीतिक पार्टियां अपने विचार, सिद्धांत को डिजिटल मोड में जन जन तक पहुंचा पाएंगी।


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